Wednesday, July 27, 2011

अगर पेड़ न होते तो

Inter-house declamation on trees on 26th July 2011


किसान खेत में थक जाए तो,
छाँव देने वाला पेड़
स्वच्छ हवा में साँस जो ली,
उस साँस को देने वाला पेड़
मीठे-मीठे फल जो दे,
कौन है वो, है वो पेड़
ठंड लगी तो आग जलाई,
उस लकड़ी को देने वाला पेड़
चिड़िया चूँ-चूँ अंडे दे,
शाखा किसकी? है वो पेड़ 
शेर, हाथी, जंगल में  रहते,
जंगल जो बनाए, वो हैं पेड़ 
किताब उठाई, की पढ़ाई
उस किताब को देने वाला पेड़ 
पेंसिल रबड़ कुर्सी मेज़ 
इन सब को देने वाला पेड़
मिट्टी का कटाव जो रोके 
'ग्लोबल वार्मिंग' से बचाने वाला पेड़!

मेरी कविता सुनकर शायद आपको ऐहसास हो गया होगा कि  पेड़ हमारे जीवन में कितने ज़रूरी हैं |लेकिन क्या आपने कभी रुकके सोचा है कि अगर पेड़ नहीं होते तो क्या होता? नहीं ना? हमें पेड़ों से मिलने वाली चीज़ों की इतनी आदत हो गई है कि हम मुड़के देखते नहीं कि पेड़ों का क्या हो रहा है!

आओ कुछ देर के लिए सोचें एक ऐसी दुनिया के बारे में जहाँ पेड़ नहीं हैं... अरे यह क्या? मुझे कुछ नज़र नहीं आ रहा...| सारे लोग कहाँ हैं? पक्षी कहाँ हैं? क्या दुनिया ख़त्म हो गई? शायद हाँ !मुझे डर लग रहा है|  जो मैंने अभी देखा, वो बहुत डरावना था! कैसे हुआ यह सब? शायद मुझे पता है... जब लोग पेड़ काटकर ऊंची ऊंची  इमारतें  बना रहे थे, पेड़ कटके ढेर सारा फर्नीचर, खूब सारा कागज़ इस्तेमाल हो रहा था, धीरे-धीरे पेड़ कम हो रहे थे, धरती पर ऑक्सीजन घट रहा था, जंगल कम हो रहे थे तो जानवर भी कम हो रहे थे, और इंसान भी नहीं बचे - सब ख़त्म हो गया | हाँ | यही दृश्य मैंने अभी देखा | पेड़ों  ने हमारी बहुत ज़रूरतों को पूरा किया है | अब जब उन्हें हमारी ज़रुरत है, तो हमें भी हाथ बढ़ाना  चाहिए और पेड़ों  से बनी चीज़ो का समझदारी से इस्तेमाल करना चाहिए | मैनें एक बात सुनी है - नया पेड़ उगाने का सबसे अच्छा समय २० साल पहले था पर उससे अच्छा समय है अब! 

आखिर में मैं यही कहना चाहूंगी - 
ज़िन्दगी देने वाला पेड़,
ज़िन्दगी बचाने वाला पेड़, 
मगर पेड़ को कौन बचाएगा?
हम! हम और सिर्फ़ हम!

धन्यवाद 








2 comments:

  1. Good thinking Meher, keep it up.

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  2. So beautiful I liked it very much keep it up Meher

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